पिछले साल IMF ने अनुमान जताया था कि आर्थिक गतिविधियों पर लगी पाबंदियों के चलते देश के ऐसे 9 करोड़ वर्कर्स में से 4 करोड़ बेहद गरीबी में खिसक जाएंगे.